गुरुवार, 19 जनवरी 2012

मैंने चरण धरे जिस पथ पर

वही डगर बदनाम हो गई

मंजिल का संकेत मिला तो

बीच राह में शाम हो गई

मेरे पथ पर शूल बिछाकर

दूर खड़े मुस्काने वाले

दाता ने संबंधी पूछे

पहला नाम तुम्हारा लूँगा ....(अपूर्ण )

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